जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है
इसके वास्ते ये तन है मन है और प्राण है ॥धृ॥
इसके कण कण में लिखा रामकृष्ण नाम है
हुतात्माओंके रुधिरसे भूमि सष्य श्याम है
धर्म का ये धाम है सदा इसे प्रणाम है
स्वतंत्र है यह धरा स्वतंत्र आसमान है ॥१॥
इसकी आन पर अगर जो बात कोई आ पडे
इसके सामने जो जुल्म के पहाड हो खडे
शत्रु सब जहान हो विरुद्ध आसमान हो
मुकाबला करेंगे जब तक जान मे ये जान है ॥२॥
इसकी गोद मे हजारो गंगा यमुना झूमती
इसके पर्वतोंकी चोटियाँ गगन को चूमती
भूमि यह महान है निराली ईसकी शान है
इसकी जयपताक पर लिखा विजय निशान है ॥३॥
-www.dilsedeshi.com